विस्सू एक लड़का / Vissu town boy hindi poem

विस्सू शहर का छोरा / vissu town boy hindi poem

 कविता पाठ

विस्सू मैं शहर  का छोरा 
मेरे प्यारे से दो घर
एक घर दादरी दूसरी घर  रामनगर
दोनों मेरे लिये एक समान।

एक घर मे जन्म हुआ
जहा जन्म के बाद खूब मौज ली
बचपन से जवानी का लुप्त उठाया
प्राइमरी से इंटरकॉलेज पहुंचा।

जहा मैने खूब सपने देखे
उन सपनों को पूरा करने
इंटरकॉलेज में दाखिला लिया
जो इंटरकॉलेज हायर सेकेंडरी की शिक्षा देता।

जहा दाखिल लिया वो
है एक केंद्रीय संस्थान
जहा शिक्षा का होता अनुसंधान
मैं करता जहा नित्य नये प्रयोग।

मैं खूब पढ़ता वहां
अपनी दिल की इच्छाओं को 
मां बाप की आकांशाओ को 
पूरा करने की कोशिश करता ।

मेरे मातापिता का मैं एकलौता दुलारा
पापा तो बहुत बार डांटते 
परन्तु मम्मी मेरी भोली
प्यार हमेशा मुझपे लुटाती।

मैं बांका शहर का छोरा
मैं कम ही उनके प्यार को समझता
वह खूब मुझको समझाती
पर मैं नादान उनको न समझ पाता।

बहुत बार तो उनकी थप्पड़ की गूंज
छोटे से दादरी के मेरे कमरे में सुनाई देती
मैं विस्सू बहुत नादान 
अपनी नादानियों में बहुत गलतीं कर जाता।

मां बाप के मर्म को मैं समझ नही पाता
जिसके चलते उनके कोप का
 मुझे सामना करना पड़ता
मैं विस्सू शहर का छोरा।

कभी मेरा दिल जब दादरी से ऊब जाता 
मैं नानी के घर चला जाता
जब ताऊ को पता चलता
वह आतुर होकर दिल उनका मुझको पुकारता।

विस्सू हमारा सबका दुलारा
घूम रहा हमारे इलाका 
संदेश उसको भेज देते
रामनगर तू आजा बेटा।

विस्सू जब ताऊ जी का संदेश सुनता
खुशी के वह झूम उठता
दौड़ कर वह नानी के घर  हल्द्वानी से
सीधे रामनगर आता।

ताऊ उसके तीन 
सब उसको दुलार करते 
पर विस्सू नादान 
वह उनके दुलार को समझ नही पाता।

गांव में आकर 
वह मस्त होकर 
बिस्तर में खूब सोता
ताऊ को बहलाकर गांव में खूब घूमता।

एक घण्टे में ताऊ के 
पसीने वह अपनी बातों से छुड़वाता
उसकी बातों में उसकी चालाकियों से 
सब को करता वह हैरान।

विस्सू हमारा अब भी नादान
माफ हम उसको अब भी करते
दुलार जो हम जो  उससे करते
विस्सू हम सब को करता अपनी बातों से हैरान।



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