पहाड़ कविता पाठ / pahad kavita path hindi

 पहाड़ कविता पाठ / Pahad kavita path hindi

यह कविता पाठ उत्तराखंड के टुटडे पहाड़ और बादल फटने की घटनाओं पर आधारित है। हमे विकाश तो चाहिये लेकिंन विनाश नही।

पहाड़ आज तूम क्यो दरख्तों हो
क्या भूल हमसे हुई
या तुम बुजर्क हो चले
या तुम हमारी नादानियां भुगत रहे।

पहाड़ आज तुम क्यो दरख्तों हो
पहाड़ आज तुम क्यो कांपते हो
पहाड़ आज तुम क्यो रुलाते हो
 सजा किस बात की देते हो।

पहाड़ आज तुम बादल फटाते हो
पहाड़ आज तुम गिर कर
पहाड़ आज तुम  टूट कर
मानव को सजा किस बात की देते हो


यदि ये भूल है मानव के विकाश की
तो हमे नही चाहिये ऐसा विकाश
हम तो वैसे ही खुश है
अपने प्यारे पहाड़ो से।

पहाड़ आज तुम बोलो
मौका आज तुम्हारे पास है
मानव को मानव की भूल से 
 तुम ही बचा सकते हो।


पहाड़ हम विकाश 
भारत का चाहते है
तुमको भी खड़ा
 देखना चाहते है।

लेकिन विकाश के नाम पर 
 विनाश तुम्हारा नही देख  पाएंगे
जीवन जब तक है
ऐसे विकाश को हम नकारते है।

पहाड़  तुम दिल मे हमारे बसे हो
हमारी आजीविका का साधन तुम हो
गीत हम तुम्हारे गाते है
क्योकि तुम दिल मे हमारे बसे हो।

पहाड़ के लिए आज कसम हम सबको खानी है
पहाड़ो की रक्षा हमको करनी है
चाहे मुसीबत कोई भी आये सामने
पहाड़ो को बचाना हमारा उद्देश्य होना चाहिये।

पहाड़ तुम खांली पहाड़ नही हो
तुम  विस्व की शान हो
विस्व की सबसे उच्च चोटी
 एवरेस्ट भी भारत के पहाड़ो में तुम विराजमान हो।

 पहाड़ बादल आज तुम क्यो फटाते हो
पहाड़ आज तुम क्यो वेमोसम बादल बरसातें  हो
पहाड़ आज तुम क्यो अपनी प्रजा को रुलाते हो
पहले तो  तुम न  टूटे न बादल फटे।

पहाड़ यदि ये भूल मानव की है
तो हम इसको स्वीकारते है
अपनी भूल के लिये क्षमा 
पहाड़  तुमसे मागंते है।








Previous
Next Post »