उत्तराखंड पहाड़ के गांव कविता पाठ
Uttrakhand Hill village poem hindi
उत्तराखंड के गांव
एक समय रोनक
बरसाते थे
दिल को सुकून देते थे।
आज उत्तराखंड के गांव
उजड़ते नजर आ रहे है
भला हो कोरोना का
डर के गांववशी वापिस हो रहे।
कोरोना ने पहाड़ को मरीज दिये
पहाड़ो में कोरोना का जख्म लिये
पहाड़वाशी पहाड़ आबाद किये
पहाड़वाशी दुःख झेल लिये।
पहाड़ के पुराने घर जर्जर हो रहे
पहाड़ के घर बर्बाद हो रहे
पहाड़ की रौनक कम हो रही
पहाड़ को खुशहाल पहाड़ होने दे।
पहाड़ खुशहाल तब ही होंगे
जब पहाड़ आवाद होंगे
जनसंख्या पहाड़ की जब
आएगी तब पहाड़ खुशहाल होंगे।
नये घर पहाड़ के जब बनेंगे
पहाड़ के पुराने घर नये बनेंगे
खेती पहाड़ की जब होगी
हरियाली चारो ओर बिखरेगी।
तब गांव पहाड़ के चमकेंगे
खुशहाल जीवन पहाड़ के होंगे
ताजी हवा पहाड़ की लेंगे
ठंडा पानी पहाड़ का पींएंगे।
पहाड़ की जवानी का आनन्द लेंगे
पहाड़ का ठंडा पानी बर्फ का आनन्द लेंगे
लोगो को पहाड़ की ओर आकर्षित करेगे
तभी हम पहाड़ को जानेंगे।
पहाड़ पहाड़ नही है यह हमारे पूर्वजो की सम्पति है
पहाड़ को दुलार देकर पहाड़ में कुछ दिन रहकर
पहाड़ में घर बना कर पहाड़ में खेती कर जानवर पाल कर
ऐसा कर जीवन पहाड़ का पहाड़ को लौटा दो ।