एक भाई चल अकेला / ek bhai chal akela hindi poem

एक भाई चल अकेला  कविता पाठ / ek bhai chal akela hindi poem

एक भाई चल अकेला
साथ मिला दूजे का 
जो सगा नही
पर सगे से कम नही।

हर काम मे वो हाथ बढ़ाता
भाइयों की कमी होने नही देता
जीवन मे वो ऐसा आया
जैसे पूर्व जन्म का नाता ।

आखिर ये होता कैसे
बाहरी अपना होता कैसे
जबकि आजकल सगा भी
दगा समय पर देता।

ये सब का कारण मेरे मीठे बोल
जिनसे मैं सबको अपना बनाता
वाणी मेरी मधुर रही है सबके प्रति
इसीलिये नाता अपने आप जुड़ता।

आज ये जान लो दोस्ततो
वाणी में अपने शहद घोलो
मीठा बोलो अच्छा सोचो
सबसे मिलकर नाता जोड़ो।

हम आये सभी इस धरती पर
कुछ समय के लिये ये जान लो
इसलिये सामंजस्य बना कर
एक दूसरे से रहा करो।

ये कभी न सोचो मैं अकेला भाई हु इस दुनिया का
सारे भाई अकेले होते जब नाता फीका भाइयों में होता
अकेला भाई मौज करता जब साथ मिलता उसे अपनो  का
बहुत से भाई होकर भी जीवन नीरस रहता जब साथ न मिलता जीवन मे उसे किसी का । 



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