संतान की पहचान / Santan ki pahchan hindi

  संतान की पहचान / Santan ki pahchan hindi

संतान की पहचान का पता तब लगता जब ब्यक्ति बुजर्क हो जाता है। जवानी में हर ब्यक्ति अपनी संतानों की कमियों को पहचान नही पाते है। यदि वो समय पर अपनी संतान को पहचान ले तो शायद जो वह संतान के लिये अपना पेट मार कर जोड़ते है उनकी पढ़ाई में खर्च करते है शायद वह खर्च न करे। कोई भी ब्यक्ति आज के समय मे चाहता है कि उसका पुत्र पुत्री को कैसे अच्छी शिक्षा दु। उस अच्छी शिक्षा देने के चक्कर मे वह  अपने को भूल जाता है । ओर उन्ही के पीछे लगा रहता है। आप अपनी संतान को अवस्य पढ़ाओ लेकिन उनकी हरकतों पर ध्यान देना भी जरूरी है। संतानों की समस्याओं को भी समझना होगा। जिन संतानों के लिये आप इतना कुछ कर रहे है वह आपकी कसौटी पर खरे उतर रहे है कि नही। उन संतानों को बीच बीच मे आजमाना  भी चाहिये। संताने आपके लिये कुछ कर सकती है कि नही यह जानना जरूरी है। आज बहुत से बुजर्क परेशान रहते है उन्होंने अपनी गाडी कमाई बच्चों पर लगाई पर जब बच्चों ने उनको देखना था तब वे बहाने बना कर उनकी सेवा से बच रहे है यह अच्छा नही है। हम अपनो बच्चों को खांली उनकी पढ़ाई पर ही ध्यान नही देना है बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी देने  चाहिये। करुणा का संस्कार जरूर देना ।जब बच्चों में करुणा होगी तभी वो आपको भी देख पाएंगे। यदि वे निष्ठर परवर्ती के हो गये तो वे तुम्हारा ही नही किसी का भी भला नही कर पाएंगे। संतान वही सुख देती है जो नम्रता की मूर्ति हो। मातापिता की आज्ञाकारी संस्कारी हो। एक बार मे उनके लिये सब कुछ करने को तैयार हो। ऐसी संतान बुढ़ापे में  सुख देती है। संतान लड़का हो या लड़की उससे फर्क नही पड़ता है। संतान तो वही सुख देती है जो अपना सुख छोड़कर मातापिता की सेवा को अपना धर्म समझे। उनकी  दवाओ का समय डॉक्टर को सही समय पर चेकउप करवाये। जिस भी जॉब में है उसको मेहनत से करके मातापिता को सुख दे न कि उनकी पेंशन के पेसो को उड़ाने की सोचें। संतान की जब शादी हो जाय तो उसको अपनी पत्नी को सम्मान देना चाहिये प्यार देना चाहिये लेकिन मातापिता को भी नही भूलना चाहिये।।यदि एक अच्छे पुत्र की पहचान है जो पत्नी के साथ अपने मातापिता को भी खुश रखे। पत्नी की जरूरतों का भरपूर ध्यान भी रखना चाहिये।

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