घमंड और गर्व का अंतर जाने/Ghamand aur garv ka antar jane hindi
घमंड और गर्व का अंतर अवस्य जानना चाहिये। हम घमंड किसे कहते है ओर गर्व किसे कहते है। घमंड जो होता है उसकी आवाज में एक अलग ही चीज दिखती है जो लोग घमंड करते है जिनके मस्तिस्क में घमंड बैठा होता है वह सीधे मुँह किसी से बात नही करते है। शालीनता को वह खो चुके होते है। घमंडी ब्यक्ति किसी को भी डाँटने में हिचकिचाएगा नही। उसकी सोच में ही घमंड होता है। एक घमंड ब्यक्ति अपने से बड़ा किसी को नही सोचता है। दूसरी बात वह किसी को भी नीचा दिखाने में कसर नही छोड़ेगा।एक घमंडी ब्यक्ति समाज से कटा रहता है लोग उसकी बातों को ज्यादा तजब्बो नही देते है यही कहते देखे गये है कि अमुक ब्यक्ति का घमंड बोल रहा है। एक घमंडी ब्यक्ति कभी भी सुखी नही रह सकता है। इसके उलट गर्व करना यदि कोई ब्यक्ति अपने किये कार्यो के लिये गर्व करता है तो यह उसके ओर समाज के लिये बहुत प्रसन्नता की बात होती है। जो ब्यक्ति अपने कामो में गर्व महसूस कर रहा है वह कार्य अवस्य उसके ओर समाज के लिये ही होगा। यदि कोई बच्चा पढ़ लिख कर बड़ा अधिकारी बन जाता है ओर वह अपने इस कार्य के लिये गर्व महसूस करता है तो अपने ओर अपने समाज के लिये गर्व की बात होगी। कोई बच्चा देश के लिये मैडल जीत कर लाता है तो वह देश का नाम रोशन करता है जिसमे उसको गर्व की अनुभूति होगी। यह जो गर्व वह कर रहा है उसमें घमंड नही आना चाहिये। यदि घमंड आ जाता है तो उसका द्वारा किया गया कार्य लोगो की नजर में छोटा हो जाएगा। यदि वह चाहता है कि लोग उसके द्वारा किये कार्य को शालीनता से देखे तो यह उसके लिये जिंदगी भर गर्व की बात बनी रहेगी। गर्व में घमंड की जगह नही है। गर्व तो सदा शालीनता की मूर्ति रहा है यदि उसमे घमंड आ जाये तो उसका मान घट जाता है।