आत्मा कविता / Aatma poem hindi

आत्मा कविता / ,Aatma poem hindi


आत्मा तुझमे ही है परमात्मा
हम यो ही  भटकते 
अज्ञानता की चादर  ओढ़े
परमात्मा को बाहर ढूढते।

परमात्मा कोई मनुष्य नही
परमात्मा का ईट पत्थर का घर नही
एक आत्मा तो है 
जिसमे निवाश  परमात्मा का जो है।

परमात्मा एक ज्योति है
ज्योति की तरह आत्मा में उसका निवाश है
परमात्मा का निवाश आत्मा में 
यही विस्वाश हम करते है।

हमे अज्ञान को दूर करना है
ज्ञान का  प्रकाश फैलाना है
आत्मा को संतुष्ट कर 
परमात्मा को मनाना है।


ज्ञान की आज कमी नही है
पर ज्ञान को हम पहचानते नही
जीवन एक ज्योति है
जिसको ज्ञान के वाबजूद हम पहचानते नही।

परमात्मा का आत्मा में निवाश है
पर आत्मा को हम पहचानते नही
इसलिये आत्मा के सामने ही
अन्याय हम करते जो है।

यदि आत्मा को हम पहचानते
तो अन्याय करने से  सदा हम डरते
परमात्मा का निवाश जहा है
वहां जुल्म का घर हम न बनाते।

आत्मा ही जीवन है 
यह ऑक्सीजन के रूप में 
शरीर मे विराजमान है
हम इसको कुछ नही समझते यही तो जीवन है।

परमात्मा को संतुष्ट करना है
जीवन को मधुर बनाना है
खुश रहो सदा
दुसरो को भी प्रसन्न  होने दो ।

ये शरीर  माटी का 
एक दिन माटी में मिल जाएगा
यादे तुम्हारी रह जायेगी
जब दिल तुम्हारा  परमात्मा से लगेगा।

जीवन को समझो प्यारे 
जीवन ही वह चीज है 
जिसके अंदर 
परमात्मा को मनाने की शक्ति है। 

जीवन अनमोल है
कीमत इसकी समझो
आत्मा से परमात्मा का मिलन
यही तो करवाती है।

इसलिये जीवन को सदा 
पापमुक्त बनाओ
परमात्मा का निवाश जहा
उसे निष्पाप बनाओ।

इसे भी पढ़े
















Previous
Next Post »