बाबू जी कविता पाठ / Babu ji Poem hindi

बाबू जी कविता पाठ

बाबू जी तुम महान थे
बाबू जी तुम जब तक थे
मुझे हर काम मे दिलाशा 
उम्मीद की देते थे।

बाबू जी तुम 
भक्त भगवान के थे
इसलिये मुझको 
तुम में राम दिखते थे।

बाबू जी तुम कर्मठ थे
बाबू जी तुम मेरी आशाओं की उम्मीद थे
इसलिये उसी बल पर मैं  मे अपने को 
कुछ करने में समर्थ रहा।

बाबू जी तुम देव की मूर्ति थे
मेरे हर काम मे तुम ही
अपना आशीष देते थे
इसलिये आज भी तुम याद आते हो।

मेरे हर घर के कण में
तुम ही विराजमान हो
तुम ही हो
जो आशीष सदा मुझको देते हो।


मैं पूजा अपने मन मे तुम्हारी करता हु
हर शुभ कार्य में  अक्स तुम्हारा ही देखता हूं
इसलिये तुम ही मेरी प्रगति की उम्मीद हो
भरोशा आज भी कायम तुम पर है।

आशीर्वाद तुम अपना देते रहना
यही उम्मीद हम तुमसे करते है
सदा सुखी हम रहे
प्राथना हम तुमसे करते है।

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