How to understand Astrology for marriage Hindi / कुंडली को कैसे अच्छा समझे जाने

How to understand Astrology for marriage know Hindi / कुंडली को कैसे अच्छा समझे जाने

शादी विवाह का महीना चल रहा है लोग अपनो की कुंडली मिलाने में व्यस्त है कुछ लोग बहुत संतुष्ट एक बार में कुंडली से हो जाते है उसका कारण ग्रहों का ठीक तरीके से बैठा होना या यह कह सकते है की भाग्यवर्दक ग्रह हर तरीके से उनको मिल जाते होगे  लेकिन एसी कुंडली बहुत कम होती है समझे हजारों में दो चार । अधिकतर कुंडली में कुछ न कुछ गडबड जरूर होती है ये बात कोई माने या न माने सो प्रतिशत सही है । क्योंकि आजकल लोग खुद कुंडली के भाव गुगल पर देखने लगे है की अमुक कुंडली ठीक है की नही लेकिन ध्यान रहे की जिस तरह का समय है उस समय में इस तरह कुंडली देखना लाभ कम नुकसान ज्यादा दे सकता है अगर हर कुंडली में इसी तरह के नुक्स निकालते रहे तो हो गया ब्याह बच्चो का। कुंडली मिलान तो हमारे जमाने में होता था जब पर्याप्त कन्या या वर उपलब्ध थे  उपलब्ध तो आज भी है लेकिन तब पेकेज बड़ी डिग्री का कोई चक्कर नही था , तब उस समय में भी जब विवाह होते थे तब उनको  भी परफेक्ट मैच नही मिल पाता था तब आज कहा परफेक्ट मैच मिल जायेगा। आज कुछ लोग की सोच होती है की पेकेज अच्छा मिल जाय वाकी छोड़ो  किसी तरह कुंडली १८ से ऊपर गुण मिल जाए तो बन जाए अपना काम।  पहले  विवाह 20 साल से 28, साल तक जरूर हो जाते थेऔर उस समय 28, या 30 साल में उनका विवाह होता था जिनकी कोई मजबूरी रही हो या जिनको रिश्ता  ही नही मिल रहा हो। आज मजबूरी नही है रिश्ते पर्याप्त है ग्रुप में रोज एक तरह के अनेक रिश्ते मिल जायेगे लेकिन जब लोग बात करेगे तो जवाब बहुत लोग नही देते है। आज तो  लोग शादी देरी में करने का फेसन समझ बैठे है लेकिन जब उम्र निकल जाती है तब सिर पकड़ कर बैठते है अरे रिश्ता नही मिल रहा है। इसलिए कोशिश करे की समय पर विवाह हो जाए बच्चो का और आप अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो।







कुंडली में दोष कम केसे देखे जाने

कुंडली मिलाते वक्त बस एक छोटा सा ध्यान यह करना है की  सातवा आठवां मंगल को बस देख लीजिए  क्योंकि शास्त्रों में इसको नॉन मंगली के लिए ठीक नही माना जाता और यदि किसी शुभ ग्रह की उसमे युक्ति है तो 35 साल के बाद विवाह कर सकते है इतना रिस्क नॉन मंगली चाहे तो ले सकते है क्योंकि मंगल का असर 28 साल तक ज्यादा रहता है तो 35 तक जरूर कम हो जायेगा । ये बात उनके लिए जिनका ,35 की उम्र या उससे ऊपर भी विवाह नही हो रहा है और इस तरह का रिश्ता मिलता है तो नजर अंदाज नहीं करे। दूसरी चीज जो है योग कुंडली में सातवा भाव को देखते है और यदि उस भाव में सूर्य  या शनि आ जाए तो पीछे हट जाते है मेने अनेक सुखी लोगो की कुंडली देखी है जिनके सातवे भाव में सूर्य या शनि है  मेरे खुद के भी है इसमें थोड़ा पत्नी पति में मदभेद रहते है लेकिन इतना भी नही जितना ज्योतिष की ग्रंथ में लिखा है अपनी समझदारी भी कोई चीज है। वाकी कुंडली में नाडी महत्वपूर्ण है यदि नाडी भेद नहीं है तो आराम से विवाह हो  सकता है। कुंडली में ज्यादा गहराई में जाने की कोशिश करेगे तो जिंदगी भर विवाह नही हो पायेगा। कुछ चीजों को छोड़ना ही होगा। सबको सब कुछ नही मिलता है जिनको मिलता है उनकी संख्या में आने के लिए बहुत मुस्किल  काम है। आजकल लोग समझदार हो गए है ज्यादा तर लोग पैकेज पर ध्यान देते है यदि पेकेज मिल गया तो कुंडली मिलाना भी जरूरी नहीं समझते है वे पेकेज को कुंडली ही समझे लेते है। चलो जिसका जैसा दिल करे उसको मुबारक। धन्यवाद।







जिसको भाव नही वो भी हाथ से निकल गया 

कल पंडित जी बता रहे थे की आजकल लोग ग्रुप में रिश्ते तलाश रहे थे उधर अपने गांव पड़ोस गली की लड़की या लड़के का रिश्ता तय हो गया और भाव नही नही देने हाथ मलते रह गए। ये सच है अनेक घटनाएं ऐसी घट चुकी है। जहा पर लोग अपने नजदीक के रिश्ते को ज्यादा तहरीह नही देते है और बाहर के रिश्ते के चलते नजदीक के रिश्ते भी खो देते है। हर कोई 50 या 100,किलोमीटर के अंदर रिश्ता चाहता है  ज्यादा ज्यादा 250 किलोमीटर  के अंदर ही रिश्ता चाहते है। जिसमे आना जाना सुगम हो लेकिन किस्मत को क्या मंजूर है वह किसी को पता नही। इसलिए रिश्ते देखते रहें और लोगो से बात करते रहे। रिश्ते में वे लोग नही झुकते है जिनके अंदर कोई कमी नहीं होती है जैसे शिक्षा हो या पेकेज भी ठीक ठाक हो वैसे ऐसे।लोगो को बहुत बार इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है पता चला जो हमको मिलने वाली थी या हमको आसानी से मिल सकता था वो किसी और का हो गया।









आजकल विवाह में रेस चल रही है अच्छा पेकेज अच्छी दुल्हन या अच्छा दूल्हे की लेकिन कुंडली भाग्य घर परिवार किसी को नही चाहिए क्या। ये सोच समाज के लिए घातक हो सकती है। कुछ साल ये ड्रामा चलेगा उसके बाद अधिकतर अपनी को बदलने की कोशिश करेगे तब यह मजबूरी बन जायेगी तब जब लोगो के पास धन तो होगा लेकिन मदद को कोई नहीं होगा। बेटा बेटी  बहु घर से बाहर होगे। और बुढ़ापे में पानी देने वाला भी नसीब नही होगा। तब  उनको अपनी और इंसानियत की कीमत का अंदाजा लगेगा। तब सब पेकेज धन दौलत भूल जायेंगे और अपने बुढ़ापे के बारे में ज्यादा सोचेंगे। समझदार आज भी सोच रहे है जब तक शरीर में खून गर्म है तब तक कम ही लोग इस बारे में सोचते है।





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