देवर भाभी का अनोखा प्यार हिंदी कहानी Devar bhabhi ka Anokha pyar hindi story

देवर भाभी का प्यार   हिंदी कहानी / Devar bhabhi ka Anokha pyar hindi  story

दीनानाथ  एक किसान था। उसके दो बेटे थे  राहुल ओर पवन । बड़े बेटे का नाम राहुल था। छोटे बेटे का नाम पवन था।  राहुल ओर पवन बड़े ही होनहार बच्चे थे। वे अपने घर का काम बखूबी करते थे। दीनानाथ के बच्चे अब बड़े हो चुके थे। दीनानाथ के ये बच्चे पढ़ाई में खास कुछ नही कर पाए। इसलिए दीनानाथ को उनकी चिंता होती थी। गांव में खेती किसानी थी। उसी से किसी तरह घर का भरण पोषण हो रहा था।। दीनानाथ सोचता तो था की उसका बेटा शहर जाकर कुछ कमाई करे लेकिन क्या करे लडका ज्यादा पढ़ा लिखा नही था। शहर में जान पहचान वाला भी कोई नही था। एक दिन दीनानाथ शहर गया था वहा उसको अपने  बचपन का दोस्त मिला। जिसका नाम  राम सिंह था। राम सिंह एक ईमानदार खुद्दार आदमी था। उसके पड़ोस जान पहचान वाले भी उसकी इज्जत करते है। भगवान के नाम पर ही उसका नाम था। अपने नाम को वह सार्थक कर रहा था। दीनानाथ जब अपने दोस्त राम सिंह  से मिला तो दोनो ने एक दूसरे का हालचाल जाना। दीनानाथ राम सिंह से बोला दोस्त तुम तो शहर में मजे कर रहे हो। तुम्हारे तो भाग्य शहर आकर जाग गए है। राम सिंह बोला दोस्त शहर में सब कुछ है लेकिन कुछ चीजे  यहा नहीं है  । दीनानाथ बोला दोस्त सब कुछ तो यहां।है ओर क्या चाहिए तुमको। रामसिंह बोला दोस्त शहर में प्रदूषण बहुत है। जिस वजह से अनेक बिमारिया शहर वासियों को घेरती है। यह शहर तो दिल्ली है जो भारत की राजधानी है। हजारों गाड़िया यहा दिन रात चलती है। ऊपर से नजदीक के प्रदेशों से पराली जलाने की वजह से भी दिल्ली को प्रदूषण ने घेर रखा है। बहुत बार लोग  हताश निराश होते है लेकिन फिर भी चलते है इसी का नाम जिंदगी है। दीनानाथ बोला ओर क्या कमी है तुम्हारे शहर में । राम सिंह बोला दोस्त यहां गांव की तरह प्यार लोगो के बीच नही है सब अपने काम में बिजी है। लोगो को अपने आसपड़ोस वालो से मिलने की फुर्सत तक नही है। भला गांव में ऐसा तो नहीं है। इसी  तरह दोनो के बीच बाते होती रही। इसी बीच राम सिंह की बेटी दो बार उनको।चाय पिला चुकी थी। अब दिन के  1बजने वाला था। भोजन का समय हो रहा था। राम सिंह की पत्नी दीनानाथ जी को भोजन के लिए कहती है। आगे की कहानी यही से शुरू होती है। Devar bhabhi ka Anokha pyar jarur ek bar padhe hindi

रामसिंह की पत्नी सीमा  अक्सर बीमार रहती उसको  लीवर की समस्या हो गई थी । दीनानाथ सीमा को भाभी कहता था। जब यह बात दीनानाथ को पता चली तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसने अपने दोस्त से कहा देख राम सिंह मेरे पास पैसे तो नही है  यदि तू कोई ओर मदद चाहता है तो मैं कर सकता हु। राम सिंह को इसी मौके का इंतजार था। वह बोला दोस्त शहर में रहने के कारण बीमारी से।घिरा होने के कारण मैं अपनी पत्नी की मदद नही कर पा रहा हु यदि तुम मदद कर सकते हो तो सीमा को बचाया जा सकता है। दिन नाथ बोला बताओ कोन सी मदद चाहिए। राम सिंह बोला उनको लीवर ट्रांसप्लांट करना है a तू यदि मदद करे तो तेरा लीवर उनको लग सकता है। तुझे भी कुछ नही होगा। तू पहले जैसा हेल्दी रहेगा। यह बात सुन कर दीनानाथ तैयार हो गया उसने अपना लीवर बड़ी खुशी से सीमा भाभी जी को देने को तैयार हो।गया। वो बोला लीवर तो क्या सीमा भाभी जी के लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हु। Devar bhabhi ka Anokha pyar hindi story ek bar jarur padhe.

रामसिंह को अपने बचपन के गांव के  दोस्त पर आज बड़ा गर्व था। रामसिंह दीनानाथ को अगले दिन दिल्ली के बड़े अस्पताल ले गया  जहा उसने अपनी पत्नी को दिखाया था। वो दिल्ली का एक जाना माना अस्पताल था। जहा देश।विदेश से लोग अपना इलाज कराने आते थे। राम सिंह के सारे टेस्ट हुए। इस तरह एक सप्ताह के बाद राम सिंह की पत्नी को एक लीवर डोनर मिल ही गया। उनका लीवर ट्रांसप्लांट सफल हुआ। राम सिंह आज प्रसन्न था। उसे अपने दोस्त पर गर्व था। पत्नी को अपने देवर पर गर्व था जो सगा न होने पर भी सगे से बढ़ कर था। दीनानाथ को कुछ दिन दिल्ली में ही रुकना पड़ा क्योंकि उनको डॉक्टर के निर्देशों का पालन जो करना था। आखिर एक महीने के बाद दीनानाथ।अपने घर पहुंचा। दीनानाथ के घर पहुंचने पर घर के लोग बहुत प्रसन्न थे। आज दीनानाथ अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा था। क्योंकि उसका एक ब्राह्मण दोस्त उसके काम आया। राम सिंह ने दीनानाथ के घर वापिस जाते वक्त अनेक कपड़े गिफ्ट में दिए थे ऑर साथ ही कुछ रुपए भी दिए थे। दीनानाथ ने जब यह सब अपने बच्चो को दिखाया तो बच्चे प्रसन्न थे। वे अपने पिताजी से बोले की तुम एक महीना में इतना कमा सकते हो तो घर बैठने का फायदा ही क्या। दीनानाथ के बच्चो को उनके ऑपरेशन लीवर डोनेट वाली बात पता नही थी। उसने सोचा यदि उसने घर में यह बात बताई तो घर के लोग नाराज हो जायेगे। इसी लिए वो चुप था। जब घर के लोगो ने दीनानाथ से उपहारों के बारे में पूछा तो उसने तो दीनानाथ दोस्त की बात बतलाई की अपने दोस्त के घर शहर गया था उसने ही ये सारे गिफ्ट दिए। बात यही खतम हो गई।

एक दिन दीनानाथ स्नान कर रहे थे । उनका बेटा बाहर बैठा उनको देख रहा था। गांव में लोग खुले में स्नान करते है खासकर पुरुष तो खुले में नहाना ही पसंद करते है। दीनानाथ आज बहुत दिनों बाद स्नान कर रहा था। पहले तो वह रोज स्नान कर रहा था लेकिन आजकल वह रोज स्नान नही कर रहा था शायद उसको डर था की कही उसकी बात बच्चो को पता न चल जाए। आज यही हुआ। जब दीनानाथ स्नान कर रहा था उस दौरान उसके बेटे की नजर उसके ऑपरेशन वाली जगह पर गई तो दीनानाथ  सकपका गया। उसको समझ नही आया की बात को केसे संभालगा। थोड़ी देर बाद जब दीनानाथ स्नान करके अपने कमरे में गया तो उसका बेटा भी पीछे पीछे उसके पास पहुंचा। बेटे ने पिताजी की घाव जो ऑपरेशन द्वारा हुआ था जो की अब भर चुका था उसका जिक्र किया। दीनानाथ से अब सहन नही हुआ आखिर कब तक वह उस भलाई वाली बात को अपने अंदर दबा कर रख सकता था। दीनानाथ ने अपने दोनो बेटो राहुल और पवन के सामने सारी बात बताई। पहले तो बेटे  अपने बाप पर बहुत गुस्सा हुए लेकिन जब उनको पता चला की जो लीवर उन्होंने डोनेट किया है वह  साल भर के अंदर अपना स्वरूप ले लेता है तब जाकर उनकी चिंता दूर हुई। उन्हे अपने पिताजी पर गर्व भी हुआ। 

तीन महीने के बाद जब रामसिंह की पत्नी पूर्णतया ठीक  हो गई तो रामसिंह ने गांव अपने दोस्त के यहां जाना उचित समझा आखिर उसके दोस्त ने उसकी एक बड़ी मदद जो की थी। आज राम सिंह गांव के लिए निकला । वह अपने साथ शहर की बढ़िया मिठाई , फल, कपड़े लेकर निकला। दोपहर दो बजे वह दीनानाथ के घर पहुंचा। दीनानाथ उस समय अपने खेत में गेंहू की सिंचाई कर रहा था फरवरी का महीना था। थोड़ी ठंड भी थी। दीनानाथ अपने दोस्त और उसके परिवार के लिए गर्म कपड़े भी लेकर गया था।  जब दीनानाथ को उसके दोस्त के आने की खबर उसके बेटे ने दी तो वह बड़े तेजी से अपने दोस्त से मिलने आया। दीनानाथ अपने दोस्त रामसिंह को अपने घर पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने रामसिंह की खातिर में कोई कमी नही की। आखिर वो उसका बचपन का दोस्त भी था। राम सिंह भी बहुत खुश था। उसे अपना पुराना और हितेषी दोस्त जो मिल गया था। दो दिन  गांव में रूक कर रामसिंह शहर वापिस आ गया। राम सिंह ने गांव में देखा की दीनानाथ के बेटे बड़े ही हेल्थी है। देखने में सुंदर भी है दिमाक के तेज भी है लेकिन वे किन्ही कारणों से पढ़ नही पाए। 

राम सिंह ने उसके बड़े बेटे का सारा  गणित जान लिया। उसके बाद वह शहर आया । उसकी बेटी ने  बिजनेस की पढ़ाई की थी। रामसिंह अपनी बेटी से बोला की तुम मेरे दोस्त के बेटे से शादी कर लो। वह बोली की कितना तक ओर क्या पढ़ाई की है। राम सिंह बोला उन लोगो ने इंसानियत की पढ़ाई की है। वह एक हेल्दी पर्सन है।  दिमाक का तेज भी है। शहर में उसको कोई बिजनेश खुलवा देंगे वह बखूबी संभल लेगा। राम सिंह के पास रुपया पैसा तो था ही । उसने दीनानाथ के बेटे को राहुल को गांव से शहर बुलावा भेजा और इस सब के बारे में दीनानाथ से बात की तो दीनानाथ भी उन दोनो की शादी को तैयार हो गया। दीनानाथ को नेकी का आज बड़ा फायदा मिल रहा था। उसका बेटा का शहर में बिजेनेश जो खुल रहा था। जब राम सिंह राहुल को शहर लाकर उसको सारी बात बताई तो वह तैयार हो गया। कुछ दिन बाद  राहुल का शहर में बिजनेश खुल गया। राम सिंह की बेटी बिजेनेश में उसकी मदद करने लगे। वह एक बड़ा व्यापारी अब बन चुका था। साल भर के बाद रामसिंह ने अपनी बेटी की शादी दीनानाथ के बेटे से कर दी। अब रामसिंह दीनानाथ  समधी भी बन चुके  थे। दीनानाथ अब बहुत प्रसन्न था । उसको अब अपने बेटे की चिंता भी नहीं थी। गांव में इतनी जमीन थी की एक बेटा आराम से गुजर बसर कर सकता था। कुछ साल बाद दीनानाथ ने पवन की भी शादी कर दी।






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