शीला की कहानी उसी की जुवानी हिंदी /,Shila ki kahani usi ki jubani hindi

शीला की कहानी उसी की जुबानी हिंदी Shila ki kahani usi ki jubani hindi

शीला की कहानी उसी की जुवानी जानने के लिए हमको देश के किसी भी  गांव , शहर, कस्बा में मिल जायेगी। शीला एक दुखी महिला जिसको पति ने ठुकराया बस इस बात के लिए की वो अभी बच्ची है यह बात उन दिनों की है जब देश को आजाद हुए कुछ दिन ही हुए थे। शीला  बतलाती है की उसका पति बेहद तेज स्वभाव का था। वह उम्र में शीला से बड़ा था। लगभग 10,साल बड़ा रहा होगा। शीला छोटी थी। वो अपनी माता के साथ रहती । पिता का उसके बचपन में देहावसान हो गया था। इसलिए वह कभी अपनी माता के साथ रहती और कभी अपनी मौसी के साथ। इस तरह शीला दो कक्षा तक पढ़ी थी। शीला की शादी उसकी माता जी ने बचपन में कर दी थी। उस जमाने में छोटी उम्र में ही शादी हो जाती थी। शीला का भी विवाह हीरा से हो गया। हीरा शीला को चाहता तो था लेकिन शीला छोटी होने के कारण।वो अपनी माता के पास वापस आ गई। यही भूल शीला से हो गई। हीरा ने कुछ दिन बाद दूसरी शादी कर ली। हीरा के मातापिता ने सोचा शायद शीला भी एक दिन वापस आयेगी लेकिन शीला ने अपने मायके रहना ही ठीक समझा।।धीरे धीरे समय गुजरता गया । शीला हीरा को भूल चुकी थी। ओर हीरा भी शीला को भूल चुका था। यह शादी सिर्फ एक कहानी बन कर रह गई थी।

शीला एक बेहद ही सुंदर भद्र  ईमानदार महिला थी। ऐसी महिला जो बेहद ही शालीनता से अपने से रह रही थी। वह अपनी मांग में सिंदूर भी भरती थी । आखिर सिंदूर भरे भी क्यों नही उसका सुहाग जिंदा जो था। वो अलग बात थी की सुहाग के साथ वह  रह नही रही  थी। मातापिता ने उसका विवाह किया था उसका पति उसी गांव में रह रहा था तो उसके रहते सिंदूर लगाना उसका धर्म था। यह हिंदू मान्यताओं के अनुसार जरूरी ओर एक पति धर्म को मानने वाली महिला के लिए जरूरी भी था। शीला की माता के पास थोड़ी जमीन थी । उसी जमीन में फसल उगा कर उनका घर चलता था। थोड़ी फसल वह बेच भी लेते थे। दूध के लिए उसने भेस पाल रखी थी। थोड़ी आमदनी उसकी दूध से हो जाती। इस तरह से शीला ने अपना पूरा जीवन बिना पति के काट दिया। वह बड़े खुद्दार महिला थी। क्योंकि यह गांव की बात थी। गांव में लोगो के बीच अच्छा प्यार होता है  सब लोग एक दूसरे से  रिश्ता बना कर रखते है। इसी प्रेम के बल पर वह अपना पूरा जीवन उसने बिताया। 

गांव में कोई उसको बुआ कहता था तो कोई उसको चाची कोई मामी कोई दादी कोई  नानी। ऐसे अनेक रिश्ते  उसके।बन चुके थे। शीला मधुर भाषी थी। वह कपड़े भी साफ सुथरे शालीनता से पहनती थी।  गांव घर बाहर के लोग उसकी बड़ी कद्र करते थे। उसका जीवन एक खुली किताब था। जिसमे छिपाने के लिए कुछ भी नही था। यही तो विशेषता उसमे थी जो।उसको अन्य महिलाओं से अलग बनाती थी। गांव घर की एक तरह तो वह बेटी थी लेकिन दूसरी तरह उसी गांव की वह बहु भी थी। गांव के लोग उसको बड़े सम्मान से देखते तो क्योंकि वह सम्मान के लायक ही थी। गांव के लोग उसके उदाहरण दिया करते थे। शीला का पति उसी गांव का था लेकिन शीला ने कभी भी उससे बात करने की कोशिश नही की । हीरा की दूसरी पत्नी भी उसको सम्मान देती थी लेकिन वह उसके सामने आने से बचती थी। कभी सामना हो भी जाए तो बातचीत नही होती थी। 

शीला की मां उसके 50,साल की उम्र में गुजर गई थी।।लेकिन तब तक शीला संभल चुकी थी । अब वह एक वयस्क थी। अपना घर चलाना उसको खूब आता था। जिम्मेदारियों को वह खूब संभालती थी। शीला का खर्च सीमित था। वह कुछ रुपया भी बचा लेती थी। अपने इसी रुपया से उसने गांव में मंदिर में दो कमरे बनवाए। जिससे की गांव के लोगो को शादी विवाह में दिक्कत न हो। जब शीला बुजूर्क हो गई तो उसने गांव पड़ोस की लोग जो उसको ताई कहते थे उसकी सेवा भी अपना समझ कर करते थे। उसके सुख दुख में हमेशा उसका साथ देते थे। जो की बाहर गांव से कुछ दिन पहले ही आए थे। लेकिन उसका उनके साथ बहुत अच्छा रिश्ता बन गया था। बुढ़ापे के अंत में  शीला ने अपनी जमीन घर उसके नई  पड़ोस वाले नंदी के बच्चो के नाम कर दी। नदी मास्टर था। उसके।बच्चे बड़े अच्छे थे उन्होंने ताई का खूब ध्यान रखा। जब तक वह जीवित रही। उसके घर की बहुएं भी उसका ध्यान रखती थी। शीला को अपने जीवन से कोई गिला शिकवा नहीं था। वो अपने जीवन में खुश थी। जब तक वह जिंदा रही खुद भी लोगो के सुख दुख में हाथ बाटती थी। यह थी शीला की कहानी जो हमने उसके मुंह से जुबानी सुनी थी।


नोट  यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है बस हमने पात्रों के नाम बदल दिए है। इसकहानी को लिखने का उद्देश्य यह है की एक लड़की जो शादीशुदा थी वो चाहती तो अपना हक अपने पति से मांग सकती थी। दूसरी पत्नी का विरोध कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा कुछ नही किया। क्योंकि उस समय यदि कोई दो विवाह हिंदू धर्म में कर भी लेता था तो उसका खास विरोध नही होता था लोग अपनी मजबूरी समझ कर घर के काम  धंधे के चक्कर में दूसरा विवाह करने में देरी नही करते थे। खासकर वे लोग जिनके पास जमीनें हुआ करती थी। आज बिना कानूनी सलाह या पहली पत्नी से तलाक लिए दूसरा विवाह संभव नहीं है। दूसरा इस कहानी लिखने का उद्देश्य की एक महिला किस तरह अपने सतीत्व को बचाए पूरा जीवन सकुशल बिताती है। इसका मतलब यह हुआ की एक महिला बिना पुरुष के भी अपना जीवन जी।सकती है।।








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