Phuldehi Festival when celebrate in uttrakhand know hindi / फुलदेही त्योहार उत्तराखंड में कब मनाया जाता है जाने

Phuldehi Festival when celebrate in uttrakhand know hindi / फुलडेही त्योहार उत्तराखंड में कब मनाया जाता है जाने 

उत्तराखंड प्रकृति प्रेमी प्रदेश है और सनातन और हिंदू देवस्थली के रूप में जाना जाता है । फुलदेही त्योहार उत्तराखंड का त्योहार है जो मार्च के महीने में बसंत के मौसम में १४या १५ मार्च को मनाया जाता है । इस साल  २०२४ में फुलद्देही का त्योहार १४ मार्च को मनाया जा रहा है। उत्तराखंड में जिन लोगो की जड़े अपने मूल स्थान से जुड़ी है और जो उत्तराखंड की सभ्य और सनातन परंपरा से अपने को जुड़ा रखना चाहते है वे उत्तराखंड में ही नही उत्तराखंड के बाहर रह कर भी अपने त्योहारों को मनाते है। फुलदेही भी लोग उत्तराखंड में तो मनाते ही है लेकिन जो लोग उत्तराखंड से बाहर निवास करते है वे भी इस त्योहार को बड़े उत्साह से मनाते है। जैसे की उत्तराखंड प्रकृति प्रधान प्रदेश है यहां पेड़ पौधों को भी पूजा जाता है तो मार्च में पेड़ो पौधों में नए पत्ते और फूल आते है साथ ही गेहूं सरसों की फसल पीली रहती है खेत फसलों से बड़े सुंदर दिखाई देते है बगीचे अपनी शोभा अलग बिखेरते है इसी सबके चलते शायद हमारे पूर्वज यह त्योहार मनाते होगे लेकिन फुलदेही के मानने के पीछे अनेक लोक कथाएं भी है जिनको जानना और समझना भी जरूरी है।







Phul dehi ke pichhe Katha know hindi / फुलदेही के पीछे लोक कथा

फुलदेही मानने के पीछे एक लोक कथा  यह है की  प्राचीन समय में घोघाजित नमक एक राजा का  राज्य  था। उसकी एक पुत्री थी जिसका नाम पियोली था। एक दिन पियोलि गायब हो गई थी। राजा ने उसको बहुत तलाश किया लेकिन वह नहीं मिली। तब से राजा उदास रहने लगा। एक रात्रि को राजा के स्वप्न में कुलदेवी आई और कहने लगी की तेरी उदासी चली जायेगी अगर तू अपनी देहली पर चैत्र अष्टमी को गांव भर के बच्चे बुलाकर उनसे अपनी देहली पर  पायोली और बुराश के फूल रख पाएंगे तो तेरी घर से उदासी दूर होगी और खुशी  लोट कर वापिस आयेगी। कहते है तब ही से ये त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गांव के बच्चे इकठ्ठा होकर फूल तोड़कर लाते है और हर घर की डेली की पूजा फूलो से करते है जिससे की घर में खुशहाली बने रहे और घर के भंडार भरे रहे। बच्चे इस दिन यह गीत भी गाते है फूल देही छमा देहि देणी द्वार भर भकार । घर के लोग इन बच्चो को गुड़ और रुपए देते है। 






















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