शादी के रिश्ते वर्ड ग्रुप में रिश्ते डालने से भी विवाह के रिश्ते नही आ रहे है तो क्या करे जाने

शादी के रिश्ते वर्ड ग्रुप में रिश्ते डालने से भी विवाह के रिश्ते नही आ रहे है तो क्या करे जाने

जो लोग अपने बच्चो के लिए रिश्ते डाल रहे है उनको शुरू शुरू में तो अनेक रिश्ते आते है लेकिन बाद में रिश्ते बहुत कम या कहे नही आते है उसका क्या कारण है समझे। जब हम अपने बच्चो के रिश्ते डाल रहे होते है तो शुरू में हम कुछ ज्यादा ही जोश में रहते है जिसके चलते हम अनेक ऐसे रिश्ते ठुकरा देते है जो की हमारे लिए उचित होते है उस समय हमारे दिमाक में यह रहता है की शायद इससे बढ़िया रिश्ता मिल जायेगा। बढ़िया रिश्ता तलाशना भी चाहिए लेकिन जो रिश्ता आपके पास दो या तीन बार आ चुका है उसका सम्मान जरूर करे। क्योंकि जिस भी पक्ष से आपके पास रिश्ता आ रहा है उनको आपका रिश्ता शायद पसंद हो। ऐसे लोग फालतू की पूछताछ भी नही करते है जिस वजह से  रिश्ता बनना आसान हो जाता है।


यदि आपके बालक बालिका के रिश्ते नही आ रहे है इसका एक कारण यह लोग लगाते है की शायद आप अभी विवाह के इच्छुक नहीं है  हा एक नॉर्मल फर्ज बायोडाटा डाल कर पूरा कर रहे है। लोग आपके बायोडाटा को फर्ज़ नही बल्कि आपकी विवाह के प्रति प्रतिबद्धता दिखे उसके लिए आपको विवाह की सीमा बायोडाटा में उल्लेख जरूर कीजिए। जिससे की अगले पक्ष को लगेगा की आप विवाह को इच्छुक अब है और जो लोग आपसे रूठ गए थे या यह कहें की आपके रिश्ते को तज्जबो नही दे रहे थे वो भी आपसे जुड़ने लगेगे। क्योंकि वो अब जान चुके होगे की आप अब विवाह को तैयार होगे। रिश्ता जब भी तय करे कोशिश यह होनी चाहिए की छह माह उस रिश्ते को मिल जाने चाहिए जिससे की बालक बालिका अपने विचार एक दूसरे से शेयर कर सके और अगर रिश्ते को टूटना होगा तो इसी बीच अच्छे तो जुड़ भी सकता है या टूटने की बात होगी विचार दोनो के मिल नही रहे होगे तो टूट भी सकता है। विवाह के बाद कोई परेशानी आए उससे अच्छा है पहले ही सब पता चल जाए। लेकिन जिनको विवाह करना होता है उनके रिश्ते कम ही टूटते है । जिनके फालतू के नखरे होते है उन्ही को समस्या आती है। इसलिए जब आप बालक बालिका के विवाह को तैयार हो जाए तब एक डेटलाइन सेट कीजिए की आपको विवाह इस बीच करना है उसके बाद देखिए आपके पास रिश्ते आने शुरू हो जायेगे। 



हर आदमी उसी से बात करना चाहता है जिसको विवाह के लिए बहुत ज्यादा उत्सक हो। ऐसे तो बायोडाटा अनेक लोग डालते है लेकिन विवाह को उत्साह सबमें  नही देखा जाता या कहे सब विवाह को राजी नहीं होते है जिसका परिणाम आज भी सन 80 or 85  के रिश्ते आ रहे है । सन 85 और  90 के रिश्ते जहा काफी पड़े है वही दूसरी तरह सन  दो हजार , सन दो हजार एक के रिश्ते के विवाह भी होने लगे है। सन ,97,98,99 के अनेक  बालक बालिका लोगो के विवाह हो चुके है और कुछ विवाह को तत्पर है और ये उम्र बिल्कुल सही है । इस उम्र में मन मुताबिक पेकेज वाला लड़की या लड़का की गारंटी तो नही लेकिन हा लड़का अच्छा पढ़ा लिखा जरूर मिल जायेगा। पेकेज तो उनके अच्छे होते है जो चार या पांच साल  या उससे ज्यादा जॉब कर चुके होते है या जिनका कॉलेज से अच्छे पेकेज में सिलेक्शन हो चुका हो ।






अब विवाह का गणित समझे 

विवाह का गणित यह है की समझो आपने एक साल में  सौ कुंडली देखी तो उसमे से बीस प्रतिशत कुंडली मंगली में छट जाती है और बीस प्रतिशत जेस्ट और विशाखा नक्षत्र में छट जाती है हाइट में बीस प्रतिशत छट जाती है अब बच गई चालीस प्रतिशत । उसमे अनेक लोगो को डिस्टेंस पसंद नही आता है दूर के विवाह नही करना चाहते है अपने लोकल में देखते है दश प्रतिशत और घट गए अब बच गए तीस प्रतिशत तो उसमे अब पेकेज की बात आती है किसी का बहुत कम है या किसी का बहुत ज्यादा उसमे लेबिल नही मिलता है जिसमे बीस  से तीस प्रतिशत रिश्ते नही हो पाते है जिस वजह से काफी सारी  बालक और बालिका का विवाह नही हो पा रहा। सिर्फ बालक वाले से ज्यादा बालिका वाले परेशान है बालिकाओं के अच्छे पेकेज के वाबजूद उनको लड़का नही मिल पा रहा है।  पांच प्रतिशत विवाह लव मैरिज से हो रहे है अब सोचीचे  आपके लिए क्या बचा ।


 इतना सब कुछ होते हुए यदि कोई अपने बच्चो का विवाह समय से करता है तो उससे ज्यादा भाग्यशाली कोई नही। यदि आपकी नजर में बालक का रिश्ता अच्छा है तब पेकेज पूछने से फायदा नही वो तो जॉब चलनी चाहिए आगे चांस अच्छी कंपनी का मिलेगा तब जब किस्मत होगी मिल ही जायेगा। लेकिन अच्छा रिसता को छोड़े नही यह आपको बाद में दुःख दाई भी हो सकता है। आज भी देखिए चालीस साल के लड़के और लड़कियां बिना विवाह के पड़े है  आखिर उनके माता पिता ने भी तो विवाह की कोशिश तो को होगी लेकिन जिस तरह से करनी थी शायद उस तरह से नही की होगी। कुछ बड़े घर के लोग को अपना लेबिल चाहिए लेकिन लेबिल तो ठीक है लेकिन अपने लेबिल को बरकरार रखने  चक्कर में बच्चे की विवाह की उम्र निकल जाती है। कुछ मातापिता बड़ी पोस्ट पर होते है लेकिन बच्चा उस लेबिल का नहीं होता है लेकिन उनकी सोच अपने लेबिल की होती है अब इस जमाने में थोड़ा मुस्किल हो जाता है जिस वजह से भी विवाह समय पर नहीं हो पा रहे है सोचिए  क्या समय और कितना कठिन समय कुछ लोगो के लिए है।





कितना ही बढ़िया रिश्ता मिल जाय यदि कुंडली मिलान के समय बिसाखा जेसथा या मूल नक्षत्र या मंगली कुंडली तब लोग पीछे हट जाते है कुछ लोग तो इतना छानबीन करते है की पांचवा भाव  या केंद्र में खासकर सातवे भाव में  सूर्य देख लेने पर पीछे हटते है जो की सरासर गलत है सूर्य का सातवे भाव में ज्यादा अच्छा ही प्रभाव पड़ता है यदि अच्छा नहीं तो बुरा भी नहीं समझे। शनि सातवे भाव में होने पर भी चिंता नही करे। कुंडली की ज्यादा गहराई में जाने से बचे।


आजकल विवाह देरी के कुछ कारण जाने

आजकल विवाह देरी का एक कारण प्राइवेट जॉब है जिसमे समय से पेकेज का अधिकतर को अभाव रहता है। जिसमे अधिकतर का पेकेज बनने में पांच से छह साल तक लग जाते है लेकिन जो ठीक ठाक पढ़े लिखे होते है उनका पेकेज तीन साल के बाद ठीक बनने लगता है खासकर बीटेक और एमटेक छात्रों का। 

शादी में देरी का कारण अधिकतर लड़कियों का इंकार करना होता है उन्हे मनमुताबिक लड़का चाहिए होता है वैसे मातापिता भी यही चाहते है लेकिन वो फिर भी बेटी के विवाह के हक में रहते है लेकिन बेटियां आजकल अपने पैरो पर खड़ी है इसलिए उनकी चलती है।

कुछ बालक कम पेकेज की वजह से विवाह के झमेले में पड़ना ही नही चाहते है । इसलिए भी रिश्ते में देरी हो रही है।

कुछ लोगो को अपना लेबिल चाहिए होता है तो इसलिए दूसरे लोग उनको भाव नही देते है उनको पता है की उनका लेबिल की वजह से उनके सम्मान में कमी आ सकती है जिसको उनको बिल्कुल कबूल नही होता है। आखिर स्वाभिमानी जो ठहरे। इस वजह से भी अनेक रिश्ते नही हो पाते है।

विवाह में।देरी का एक कारण लोग हल्द्वानी के रिश्ते लोग ज्यादा चाहते है कुमाऊनी लोग हल्द्वानी में ज्यादा बसे जो है लोग चाहते है की हल्द्वानी लोकल के रिश्ते ही मिल जाए।यदि आप बाहर के रिश्ते तलाश करेगे जैसे चंडीगढ़, जयपुर , दिल्ली, गाजियाबाद मेरढ़ लखनऊ, मुरादाबाद  रानीखेत अल्मोड़ा पिथौरागढ़ तो रिश्ते आसानी से मिल जायेगे। लेकिन लोगो ने रट जो पकड़ी है हलवानी का या आसपास का ही रिश्ता चाहिए। ये भी ठीक नहीं है। रिश्ते बनने में बड़ी रुकावट है।

आजकल विवाह में रुकावट हाइट एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आ रहा है लोगो को लंबी लड़की या लड़का चाहिए। पहले छह फुट का लड़का पांच फीट की लड़की से आसानी से शादी कर लेता था लेकिन अब नही। उत्तराखंड में कम हाइट की लड़की अधिक पढ़ीलिखी है ये एक बड़ी किसी रिश्ते के बनने में रुकावट है।


ग्रुप में बार बार अपनी बायोडाटा डालने से कुछ नही होने वाला है पहले समाज की और अपनी सोच बदलनी होगी। तभी रिश्ते हो पाएंगे। लालच वश वो चाहे कन्या वाले हों या वर पक्ष लालच लाभ कम और नुकसान ज्यादा ही देता है। शिक्षा को महत्व दीजिए। कामकाजी कन्या को महत्व दे सकते है वैसे आजकल काम तो सभी करना चाहती है लेकिन मनमुताबिक काम नही मिल पाने के कारण लोग बेरोजगार घूम रहे है जिसमें लड़के और लड़कियां दोनो है। कुछ लोग शादी के लिए झूठा बहाना भी बनाते है  की वो जॉब की तैयारी कर रहे है जॉब की तैयारी सब करते है लेकिन सफलता कुछ लोगो को ही मिलाती है इसलिए ऐसे लोग उनसे विवाह करे जो जॉब वाली कन्या नही चाह रहे हो तभी विवाह हो पाएंगे।

नोट जिन लोगो से आपकी बात एक बार में नही बन  रही है उन्हे अपना स्वाभिमान छोड़कर दुबारा बिना हिचक संपर्क जरूर करे । क्या पता दुनिया के धक्के खा कर अकल आ गई हो और यदि फिर भी अपनी में रहते है तो उन्हें छोड़ दे। प्रभु इच्छा बलवान होती है खुद भी जरूरत पड़ने पर वे संपर्क कर सकते  है।














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