kya kavita bhabhi ke lubhane kisse hindi / कविता भाभी के लुभावने किस्से

Kavita bhabhi ke lubhane  kisse hindi /  कविता भाभी के लुभावने किस्से 





कविता काल्पनिक नाम भाभी के लुभावने किस्से हिंदी 

कविता भाभी दिल भेक महिला । हर कोई उसके रंगरूप का दीवाना। आखिर हो भी क्यो नही कविता  भाभी महिला ही ऐसी थी। यह बात उन दिनों की है जब हम उत्तर पूर्व के किसी प्रान्त में रहते थे। कविता भाभी एक सुंदर डीलडौल वाली महिला थी। लोग उसकी तरह अनायास ही खिंचते चले आते थे। 


वो एक होटल की मालकिन के साथ ही बर्तन की दुकान ओर पीसीओ भी चलाती थी। कविता भाभी अपने इलाके में इतनी पॉपुलर थी कि उसकी चमक दमक देखकर लोग जैसे कि हमने कहा कि उसकी ओर खिंचे चले आते थे। जिस वजह से उनका ब्यापार बहुत सुंदर चल रहा था। कविता के ब्यापार ने इतना नाम कमाया की दुसरो के ब्यापार उनके आसपास थे वे  ठप हो गये या धीमी गति से चलने लगे । उन दिनों एक फोजो वहां आये तो कविता भाभी का  डील डॉल देखकर  वह उनपर मोहित हो गये। 


फौजी दिल का  सच्चा था जैसे कि फौजी दिल के सच्चे होते है। कविता भाभी का पति नही था वो एक दुर्धटना के शिकार हो गये थे। का कविता दिल से  चाहती तो बहुत  थी कि कोई प्यार करने वाला उसको मिल जाये लेकिंन अपने दो च छोटे  बच्चों के मोह के कारण वह अपने दिल पर काबू रख लेती थी। लेकिन आज जिस फौजी के उसको दर्शन हुए थे। वह एक सुंदर नोजवान था।

gugal se li photo

 जिसका कविता भाभी जो 35  साल की थी उस  पर दिल आ गया। फौजी 28 साल तक का रहा होगा। क्योंकि आमतौर पर इस उम्र तक फौजी शादी कर लेते है।  जब फौजी का कविता भाभी से आँखे दो की चार हुई तो कविता भाभी अपना दिल उस नवजवान फौजी को दे बैठी। जब किसी को कोई दिल दे बैठता है तो उसका क्या हाल होता है यह आप अच्छा से समझ सकते है। 


एक दिन कविता को फौजी बोला भाभी जी आप रोज कहा जाती है। कविता भाभी बोली मैं मन्दिर पूजा के लिये जाती है क्या तुम भी चलोगों। फौजी ने  हां कहने में देरी नही की। फिर दोनों मन्दिर गये वहां दोनों ने पूजा की । पूजा के लिये दोनों के मन मे एक दूसरे को चाहने मिलन की भगवान से मन्नत कर रहे थे। फिर कुछ दिन बाद वही हुआ। दोनों मन्दिर में मील आग दोनों तरफ लगी थी। 


अपनी दिल की रानी को पाने का ख्वाह फौजी जहा पाले था वही कविता अपने फौजी दोस्त को पाने की भगवान से मन्नत करती थी। यह सब बहुत दिनों तक चलता रहा । कविता के बच्चों को फौजी अब अच्छा लगने लगा । उसका एक कारण यह था कि फौजी उन बच्चों को अपने बच्चे समान प्यार देता थे। फौजी अब अपनी  छुटिया भी यही पर बिताने लगा। बच्चे भी फौजी के बिना नही रह पाते थे। 


एक दिन जब कविता ओर फौजी दोनों मन्दिर गये थे  तब बच्चे भी साथ गये थे। बच्चो ने फौजी ओर अपनी मम्मी का जब प्यार देखा तो दोनों को भगवान के सामने मिला दिया और दोनों को हाथ मे हाथ देकर एक साथ जीने मरने की कसमें खायी । इन कसमो में बच्चो की देखभाल भी फौजी को करनी थी। फौजी मान गया। आज मेने देखा 20 साल बाद भी दोनों का प्यार चरम पर है। अब बच्चे बड़े हो गये है वे फौजी को पूरा अपना पापा का प्यार देते है। उनकी सेवा करते है। 










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