जब कुछ समझ न आये तो क्या करे

जब कुछ समझ मे ना आये तो क्या करे

दोस्ततो जीवन मे बहुत से ऐसे मौके आते है जब कुछ समझ
में नही आता है तब क्या करे। आज हम आपको बतलायेंगे की कैसे इस समस्या का समाधान  आपके अंदर ही निहित है।आपको तो बस मामूली सा प्रयास करना चाहिये।

  समझोउदाहरण के लिये आपका कोई निजी आपकी बात नही मान रहा है तो आप को क्या करना चाहिए। वो निजी हो सकता है कि आपका पुत्र पुत्री बहु देवर भाभी चाचा मामा।कोई भी हो सकता है। आपका उनको समझना किसी विषय पर जब भारी पड़ने लगता है।

वे आपकी बात को तजबो नही देते है।जब कि आप वो बात कर रहे है जिसमे उनका हित भी जुड़ा  है तो क्या करे। आपने बहुत बार देखा या आजमाया होगा कि आपका घर का बेटा जब आपकी बात नही मानता है तो आपको कितना दुःख होता है। दुःख होने की बात भी है। 

जब कुछ समझ ना आये तो क्या करे

लेकिन आप कुछ नही कर सकते है।कारण वह जो आपका बेटे है। जब तक छोटा है आप डाट सकते है। बड़ा होने पर आप डाट भी नही सकते है।वो कोई गलत हरकत कर सकता है। जिसका खमियाजा आपको बाद में भुगतना पड़ेगा। इसलिये बहुत सारी ऐसी परिस्थिति जीवन मे आती है कि हम निर्णय नही ले पाते है। 

अब में एक नयी परिस्थति के बारे में बतलाता हु।समझो कल को आपकी बहु नॉकरी करती है और आप नही चाहते है कि वो जॉब करे। और वह जॉब छोड़ने को तैयार नही हो तब आप क्या करेगे।  एक परिस्थिति ऐसी है कि आपका बेटा बेटी कोई कोर्स करना चाहते है।

जब कुछ समझ मे ना आये तो क्या करे

 पर आपके पास उस कोर्स का बजट नही है या है भी तो खींचतान हो जाएगी। आप उसको कोई ओर कोर्स जिसमे बजट कम लगे ऐसा कोर्स करने को कहते हो। लेकिन बच्चा मंटा नही है। ऐसी ही परिस्थिति स्कूल दाखिले की है । बच्चा अमुक स्कूल में पढ़ना चाहता है । पर आपका बजट नही है अब आप क्या कर सकते है। 

जीवन मे अनेक समस्याए आती है जाती है। बस हमारा कार्य एक मुखिया होने के नाते या छात्र होने के नाते हर चीज को समझना होगा। यदि हम घर के मुखिया है तो हम जो भी कह रहे है। वह घर परिवार के भले के लिये ही कह रहे है।लेकिन बहुत बार घर का मुखिया  होने के नाते हम सही फैसले नही ले पाते है।

जिसके कारण बाद में हमकोपछताना पड़ता है।इसलिये घर के मुखिया की जिम्मेदारी किसी भी समस्या को संभालने में ज्यादा है।उनको जीवनका एक बड़ा अनुभव होता है। उसी आधार पर वो कहते है।

जब कुछ समझ मे ना आये तो क्या करे

लेकिन हर बार बच्चों की मांग भी अनुचित नही होती है। बच्चे आज का माहौल देख रहे है।आप कंजूसी के चक्कर मे बच्चे का भविष्य चौपट कर सकते है। इसलिये जीवन मे बच्चों की बात को मानना भी जरूरी है।यदि उनकी बात को
नही समझ पा रहे है तो किसी विशेषय की सलाह ले।हम तो यही कहेंगे।

जहाँ तक बेटे या बेटी बहु का सवाल है। उनको अपने परिवार की अपने पिता की आमदनी की सोच कर ही कोई
बात करनी  चाहिए।फिजूल की बात को करने से फायदा नही है। अपने दिमाक को भी चेक कर ले कि आप जो जिद कर रहे है उसके लायक आप है कि नही। ये सब जानना बहुत जरूरी होता है। 

जब कुछ समझ मे ना आये तो क्या करे

तभी आप अपने को समझ सकते है। जब आप अपने को समझएगे तभी समस्याओ का समाधान
भी निकलेगा। आज बच्चों के साथ साथ  घर के जो मुखिया है उनको भी जागरूप रहना है। उसी हिसाब से फैसले लेने चाहिये। जो फैसले आप ले रहे है वो  ऐसे फैसले हो जिन पर सब को नाज हो।घर, समाज,दुनिया को आप नाज होना चाहिये।

जब कुछ समझ मे ना आये तो क्या करे

अब हम पारिवारिक कलह के बारे में बात करेंगे।जब घर मे किसी बात को।लेकर कलह शुरू हो जाती है। ये वो घर का बुरा डोर होता है। जब हम सब परेशान होते है।

हम सब ऐसे दोरो से अपने जीवन मे गुजर चुके होते है। परिस्थियों का कुछ पता नही होता है कि वो किस मोड़ पर लाकर खड़ी कर देगी।इसलिये जीवन मे हर परिस्थति के लिये स्वयं को तैयार कर के रखो। 

जीवन मे संघर्ष से पीछे मत हटो। संघष से ही।आगे बढ़ा जा सकता है। जीवन मे पाने के लिये बहुत कुछ है। बस आप कोशिश कर सकते हो ।देना या ना देना वो सब परमात्मा के हाथ मे है।

 आप तो कर्म करते जाओ।जीत आपकी होगी। एक दिन आप जीत कर जब बाहर आओगे।तब सब आपका सम्मान करेगे।तब तक आप अपना संघर्ष जारी रखो।

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